कई राज्य सरकारें पहले भी अपने इस अधिकार का इस्तेमाल करती रही हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र सरकार 2016 में यहूदी समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा दे चुकी है। ऐसे ही कर्नाटक सरकार तमिल, तेलुगू, उर्दू, हिंदी, मराठी, गुजराती आदि भाषाओं को अल्पसंख्यक भाषा के रूप में अधिसूचित कर चुकी है।