लक्ष्य उनका सिर्फ नाम ही नहीं है, बल्कि उनकी निगाहें भी इसी पर होती हैं। बस एक मैच और लक्ष्य सेन 2001 के बाद यह खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बन जाएंगे। 20 साल के इस लड़के पर रविवार को सबकी निगाहें होंगी। और वह चाहेंगे कि इसमें भी वैसे ही खेला जाए जैसा वह अभी तक खेलते आए हैं। बेफिक्र, बिना किसी तनाव के। भावनाओं को काबू में रखते हुए। और अगर वह लय में बने रहते हैं तो फिर कल के अखबार की पहली सुर्खी लक्ष्य ही होंगे।