कुछ समय पहले समाचार पत्र पत्रिकाओं में बड़े-बड़े लेख प्रकाशित होते थे। टीवी दूरदर्शन में क्रांतिकारियों पर कार्यक्रम आते थे, पढ़ाई के पाठ्यक्रमों में उनका जीवन परिचय होता था, पढ़ा पढ़ाया जाता था, अब यह सब गायब हो गए। अंग्रेजों के समय में राज्य में रात नहीं होती थी, क्रांतिकारियों को इतना कष्ट दिया जाता था कि जब अंग्रेज किसी को बुलाता था, तो उसके सामने जाने के पहले लोग आत्महत्या कर लेते थे। जिन लोगों ने ना भारत का इतिहास पढ़ा है, न संघर्ष किया है, ना क्रांतिकारियों को पढ़ा है, वो क्या जाने कितने प्रकार के टैक्स लिए जाते थे।