साहित्य की तरह हर तरफ सम्मान पाने की ललक बढ़ती जा रही है। कुछ समय पूर्व राजनीतिक या राजकीय ओहदा पाना सम्मान दर्शाता था। आज यह हालत है कि दर्जा प्राप्त व्यक्ति भी मुंह खोल कर कह रहे हैं कि मेरा सम्मान करो, क्योंकि मैं यह संत्री या वह मंत्री हूं। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि जब कोई दर्जा प्राप्त कर लेता है, तो लोग उस पर हंसते हैं, पर वह उनका हंसना यह कह कर प्रचारित कर देता है कि लोग उस पर हंस नहीं रहे हैं, बल्कि अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं।
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2024-09-19 05:05:55